मेरे उपवन में जब पाँव पड़े तेरे मखमली
घास ने गर्दन झुका दी
देख पेशानी पे तेरी उभर आई जो बूँद
मयूरी पंखो ने हौले हौले हवा दी!
फूलों की करतल ध्वनी से गूँज उठी फिजायें
पंखुरिओं ने तेरी अधरों की लालिमा बढ़ा दी!
बिछ गए हैं तेरी राहों में टूट के पत्ते
जब तेरे बदन की बासंती हवा ने धड़कन बढ़ा दी !!!
घास ने गर्दन झुका दी
देख पेशानी पे तेरी उभर आई जो बूँद
मयूरी पंखो ने हौले हौले हवा दी!
फूलों की करतल ध्वनी से गूँज उठी फिजायें
पंखुरिओं ने तेरी अधरों की लालिमा बढ़ा दी!
बिछ गए हैं तेरी राहों में टूट के पत्ते
जब तेरे बदन की बासंती हवा ने धड़कन बढ़ा दी !!!
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