फागुन आया फागुन आया ,दरवाजे पे होली रे
रंग अबीरों से सजी दुकाने ,उत्सुक बच्चों की टोली रे !
मौसम ने है बदली करवट ,फूलों की सजी रंगोली रे
छितरे टुकड़े मेघों के ,सूरज खेले आँख मिचोली रे !
केसर फूला सरसों फूली ,फूली उपवन की मौली रे
कलिओं ने इजहार किया ,भंवरो की पंचम बोली रे !
घर घर सब तैयारी करते ,दिन गिनते हमजोली रे
राह रोक कर चंदा मांगे ,पिचकारी की गोली रे !!
फागुन आया फागुन ,दरवाजे पे होली रे !!
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