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रविवार, 9 दिसंबर 2018

लो चाँद ईद का निकला, रचनाकार _श्रीमती राजेश कुमारी राज, संगीत_ बिमला भ...

3 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १० दिसम्बर २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'

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  2. सर्द रातें
    यह सर्द रातें
    यह ठंडा घना कोहरा
    कभी कम्बल से निकल
    कुछ दूर चल
    गलियों में झांक
    चौराहे के उस पार
    पुल के नीचे
    कुछ इंसान रहते हैं
    तुझे क्या पता
    तुझे खबर नहीं
    मजबूरी क्या है
    जब तक ना पिघले
    सीने में जमी बर्फ
    तब तक शायद तुझे
    अहसास ना होगा
    दिसंबर की रातों का

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