लोग हुनरमंद कितने किसी को गुमाँ तक नहीं होता
आग लगाते वो कुछ इस तरह जो धुआँ तक नहीं होता
जह्र फैलाते हुए उम्र गुजरी भले बाद
में उनकी
मैय्यत उठाने कोई यारों का कारवाँ तक नहीं होता
आज यहाँ की बदल गई आबो हवा देखिये कितनी
वृद्ध की माफ़िक झुका वो शजर जो जवाँ तक नहीं होता
मूक हैं लाचार हैं जानवर हैं यही जिंदगी इनकी
ढो रहे हैं बोझ पर दर्द इनका बयाँ तक
नहीं होता
ख़्वाब सजाते सदा आसमां पर महल वो बनायेंगे
दिल की जमीं पर मुहब्बत भरा आशियाँ तक नहीं
होता
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वाह ... लाजवाब शेर हैं ... कमाल की ग़ज़ल ...
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंख़्वाब सजाते सदा आसमां पर महल वो बनायेंगे
जवाब देंहटाएंदिल की जमीं पर मुहब्बत भरा आशियाँ तक नहीं होता
यही आज की हकीकत है
वाह.....................मूक हैं लाचार हैं जानवर हैं यही जिंदगी इनकी
जवाब देंहटाएंढो रहे हैं बोझ पर दर्द इनका बयाँ तक नहीं होता ...............