tag:blogger.com,1999:blog-2084151036771854001.post5900197947263083412..comments2024-03-28T22:37:31.208-07:00Comments on HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR: भ्रष्टाचार विरोधी ज्वालाRajesh Kumarihttp://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2084151036771854001.post-59817082954488630882011-04-10T02:57:45.330-07:002011-04-10T02:57:45.330-07:00आप ठीक कहती है
अब ये आग कबी बुझनी नहीं चाहिए
सुन...आप ठीक कहती है <br />अब ये आग कबी बुझनी नहीं चाहिए<br /><br />सुन्दर प्रस्तुतिDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2084151036771854001.post-27065132227620287812011-04-10T01:59:50.049-07:002011-04-10T01:59:50.049-07:00राजेश कुमारी जी!
आपने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में ...राजेश कुमारी जी!<br />आपने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में प्रेरक रचना पढ़ाने का जो सौभाग्य मुझे दिया उसके लिए साधुवाद!<br />==============================<br />दो दोहे<br />====<br />यदि मानों तो वृक्ष हैं, अति सुशील संतान।<br />मूल्यों का हर हाल में, ये करते हैं मान॥<br />------+-------+--------+--------+-----+-----<br />प्राय: अवगुण पूत के, करते सपने खाक़।<br />किन्तु वृक्ष निज जनक की, करें न नीची नाक॥<br />================================<br />सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2084151036771854001.post-33611871129161866662011-04-08T11:24:59.174-07:002011-04-08T11:24:59.174-07:00बहुत अच्छी प्रस्तुति ...बहुत अच्छी प्रस्तुति ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2084151036771854001.post-35777949463389690182011-04-08T08:14:27.061-07:002011-04-08T08:14:27.061-07:00बहुत बढ़िया!
अब हिमालय से नई गंंगा निकलनी चाहिए!बहुत बढ़िया!<br />अब हिमालय से नई गंंगा निकलनी चाहिए!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2084151036771854001.post-8685061738740314772011-04-08T07:57:58.322-07:002011-04-08T07:57:58.322-07:00पारदर्शी हो चुकी है भ्रष्टाचार की गागर
अब तो चटकन...पारदर्शी हो चुकी है भ्रष्टाचार की गागर <br />अब तो चटकनी चाहिए !<br />हो जाओ एकमत लोक मत में <br />ये हवा यूँ ही पनपनी चाहिए !<br />उग रहे जहरीले बीज वतन में <br />ये फसल अब तो कुचलनी चाहिए !<br /><br />बहुत सटीक पंक्तियाँ रची आपने..... अब तो बदलाव आना ही चाहिए.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com