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गुरुवार, 29 मार्च 2012

सच्चाई का दमन


कल फिर किसी चट्टान को फोड़ने की कोशिश होगी 
कल फिर किसी ईमान को निचोड़ने की कोशिश होगी 
सूरज तो दिन में हर रोज की तरह दमकेगा 
कल फिर  अँधेरे में सच को मरोड़ने की कोशिश होगी 
एक और बुलंद आव़ाज का शीशा चट्केगा 
कल फिर तिलस्मी वादों से जोड़ने की कोशिश होगी
फूट रहा क्रोध का लावा बनकर हर्दय में जो 
कल फिर उसी सैलाब को मोड़ने की कोशिश होगी 
फिर तमाश्बीन  की तरह बैठे रहेंगे हम 
कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी 
(कल आर्मी चीफ जनरल वी के  सिंह का क्या होगा मुझे नहीं पता पर आज मेरे मन में जो संशय उभर रहा है वही उद्दगार आप लोगों से साँझा  कर रही हूँ.)

21 टिप्‍पणियां:

  1. फिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
    कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी ...बहुत सुन्दर भाव.सार्थक पोस्ट..

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  2. सच कहा ... हम बस तमाशबीन की तरह ही बैठे रहेंगे ...... बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  3. thatz wat happening all around the globe..
    agony and anger perfectly expressed !!!

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  4. सूरज तो दिन में हर रोज की तरह दमकेगा
    कल फिर अँधेरे में सच को मरोड़ने की कोशिश होगी

    बहुत सुन्दर भाव,,,
    सादर,
    अनु

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  5. सच्चाई को दर्शाती सशक्त प्रस्तुति।

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  6. कल फिर किसी चट्टान को फोड़ने की कोशिश होगी
    कल फिर किसी ईमान को निचोड़ने की कोशिश होगी
    सूरज तो दिन में हर रोज की तरह दमकेगा
    कल फिर अँधेरे में सच को मरोड़ने की कोशिश होगी ...आखिर क्यूँ हैं हम तमाशबीन ? क्या हम एक हैं ?

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  7. sarthak post hae par ab aesi koshishen kamyab nahin hone denge. meri nai post par aapke vichr aamantrit haen aabhar.

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  8. सच है, यहाँ उड़ने वालों के पंख कतरे जाते हैं।

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  9. ज्वलंत मुद्दों पर केंद्रित सुंदर भावों से सुसज्जित सार्थक नज़्म...बधाई

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  10. जब तपिश सूरज की बढ़ जाएगी अधिक,
    ए सी आन कर मुह मोड़ने की कोशिश होगी....

    सुंदर अभिव्यक्ति...
    सादर।

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  11. फायदे औ लूट का है दौर चलता राज में
    बेईमां के बीच ईमां की यही हालत होगी

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  12. फिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
    कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी ati sundar...

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  13. फिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
    कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी

    ....bahut sundar rachana..

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  14. फूट रहा क्रोध का लावा बनकर हर्दय में जो
    कल फिर उसी सैलाब को मोड़ने की कोशिश होगी
    वाह!!!!!बहुत सुंदर रचना,क्या बात है,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,

    MY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

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  15. यही तो दुर्भाग्य है इस देश का ये वक्र मुखी सांसद संविधानिक सत्ता के सर्वोच्च केन्द्रों को भी चुन चुन कर नष्ट कर रहें हैं .अन्दर से ही कुछ होगा .

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  16. सटीक एवं यथार्थ प्रस्तुति...

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  17. फिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
    कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी
    (कल आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह का क्या होगा मुझे नहीं

    नहीं सम्भले तो कल किसी विदेशी के हाथ सत्ता होगी

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